एक बार गणेश जी ने शिवजी से कहा - "आप मेरी श्रेष्ठता का सबसे बखान करते हैं ! पर क्या आप भी मेरी श्रेष्ठता स्वीकार करते हैं ?" "अवश्य !" भगवान् शिव तत्काल ही बोले ! "तो फिर आप अपने शीश सरीखा कुछ मुझ पर चढ़ाइए ना...!" गणेश जी ने मन्द-मन्द मुस्कुराते हुए शिवजी से कहा ! भगवान् शिव सोच में पड़ गए ! गणेश जी की यह अटपटी माँग पूरी करने के लिए, करें तो क्या करें ..? अन्ततः भगवान् शिव ने नारियल की रचना की, जो कि बाहर से मनुष्य के सिर जैसा सख्त है, किन्तु भीतर से सिर के भीतरी भाग की तरह कोमल है ! नारियल के तीन छेद - त्रिनेत्र शिवजी की तीन आँखों का प्रतीक हैं ! शिवजी ने नारियल श्रीगणेश के सम्मुख फोड़ा और उन्हें चढ़ा दिया ! शिवजी द्वारा गणेश जी पर नारियल चढ़ाये जाने के बाद ही देवी-देवताओं पर नारियल चढ़ाये जाने की परम्परा का शुभारम्भ हुआ !