Vipra Vidhit Pujan Samagri
Getting Pure Puja essentials now easy
BEST QUALITY ASSURED
"Quality is our Priority"
Get in Delhi here.....
Pinki Singhania
Mob : 8860846197

दीपों का त्यौहार – दीपावली

दीपावली या दिवाली का त्यौहार भारत के सबसे प्रमुख त्यौहारों में से एक है ! दिवाली उल्लास और उमंग का त्यौहार है ! इसे खुशियों का त्यौहार भी कह सकते हैं ! वास्तव में शीत ऋतु के आगमन के साथ ही त्यौहारों की एक लड़ी आ जाती है ! पहले धन तेरस, फिर नरक चौदस अर्थात छोटी दिवाली, फिर दिवाली, उसके बाद गोवर्धन पूजा या विश्वकर्मा पूजा, उसके बाद भैया दूज ! त्यौहारों की इस लड़ी में राजा है दिवाली !

यह एक ऐसा त्यौहार है, जिसकी तैयारी हर हिन्दू परिवार में बहुत दिन पहले से ही शुरू हो जाती है ! दुकानदार भी दिवाली के लिए माल इकट्ठा करना एक महीने पहले से ही आरम्भ कर देते हैं ! दीवाली धूमधाम, सजावट, सफाई और मेल-मिलाप का त्यौहार है ! लोग दीपावली के लिए नए कपडे भी पहले से ही बनवा लेते है ! आर्थिक रूप से समृद्ध एवं मध्यम वर्गीय लोग भी धनतेरस से भैया दूज के लिए नये-नये कपड़े सिलवा लेते हैं ! लोग घर की सफाई करते हैं, पुताई करवाते हैं ! दिवाली से कई-कई दिन पहले बाज़ारों में भी सजावट की जाने लगती है ! प्राचीन समय में तो भारत के व्यापारी वर्ग में दिवाली का त्यौहार नये साल जैसा हुआ करता था ! व्यापारी-दुकानदार-महाजन दिवाली से ही नये साल के वहीखाते की शुरूआत करते थे !

दीपावली मनाने के सन्दर्भ में कई कहानियां कही-सुनी-पढ़ी जाती हैं !
एक कहानी द्वापर की है, जब पाण्डव बारह वर्ष का वनवास तथा एक वर्ष का अज्ञातवास पूरा करके वापस लौटे तो हस्तिनापुर में उनके हितैषियों ने दीपमालाएँ जलाकर प्रसन्नता प्रकट की थी !

एक मान्यता यह भी है कि सागरमंथन में अवतरित हुईं लक्ष्मी जी ने दीपावली के दिन ही श्रीहरि विष्णु को अपना पति स्वीकार कर उनसे विवाह किया था !

एक कथा के अनुसार भगवान् कृष्ण ने नरक चौदस के दिन अपनी प्रिय रानी सत्यभामा की सहायता से नरकासुर नाम के अत्यंत दुर्दान्त और दुराचारी, क्रूर राक्षस का वध किया था, इसी खुशी में अगले दिन द्वारकावासियों ने दीपमालाएँ जलाकर खुशियाँ मनाईं थीं !

दीपावली मनाने में मुसलमानों का भी बड़ा ही रोचक इतिहास है ! मुग़ल सम्राट अकबर को दीपावली का त्यौहार इतना पसन्द था कि वह सारे महल में दीपों की शानदार सजावट करवाता था और राजमहल के दीप दूर-दूर तक दिखाई दे सकें, इसके लिए बड़े-बड़े कंदील बनवाकर, उनमें पूरी रात जलते रहने वाले दीपक रखवाकर, बाँसों से बहुत ऊँचाईं पर इस तरह लटकवाता था कि दूर-दूर से भी लोगों को महल का दीपक दिखाई देता रहे ! अकबर के बेटे सलीम - जो बाद में बादशाह जहांगीर नाम से मशहूर हुए, के समय में भी दिवाली की धूम-धाम अत्यन्त दर्शनीय होती थी ! लोग दूर-दूर से महल की सजावट देखने आते थे !

भारत ही नहीं विश्व के बहुत से देशों में दिवाली का त्यौहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता हैं ! हाँ, किसी-किसी देश में कारण तथा कथाएँ भिन्नता लिए हैं !

भारत में दिवाली के त्यौहार की मुख्य कथा यह है कि अयोध्या के राजा भगवान राम चौदह वर्ष के वनवास के बाद, लंका पर विजय प्राप्त करने के बाद कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की काली अमावस्या के दिन अयोध्या लौटे थे ! अयोध्यावासियों ने घर-घर दीये जलाकर यह खुशी मनाई थी !

मर्यादा पुरुषोत्तम राम भारत के जन-जन के मन में इस तरह समाये हुए हैं कि आज भी ग्रामीण अंचलों में लोग यदि किसी से नमस्कार कहना हो तो "राम-राम" कहते हैं !
यही कारण है - रावण के मारे जाने की खुशी दशहरा मनाकर प्रकट की जाती है तो भगवान राम के अयोध्या वापस लौटने की खुशी में दिवाली मनाई जाती है !