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गायत्री महामन्त्र

गायत्री मन्त्र को हिन्दू धर्म का सर्वश्रेष्ठ मन्त्र माना गया है !
इसे महामन्त्र कहा जाता है !
प्रतिदिन इस मन्त्र का जाप करने से मन-मस्तिष्क निर्मल रहता है !
क्रोध शांत होता है।
ज्ञान की वृद्धि होती है।
मनचाहा कार्य सफल करने की शक्ति प्राप्त होती है !

ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं
भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न:
प्रचोदयात्।


Om Bhoorbhuvah Swaaha Tatsviturvarenyam
Bhargo Devasy Dheemahi Dhiyo Yo Na Prachodayaat

गायत्री मन्त्र का अर्थ - ऊँ - ईश्वर ! भू: - प्राणस्वरूप ! भुव: - दु:खनाशक ! स्व: - सुख स्वरूप !
तत् - उस ! सवितु: - तेजस्वी ! वरेण्यं - श्रेष्ठ ! भर्ग: - पापनाशक !
देवस्य – दिव्य ! धीमहि - धारण करे ! धियो – बुद्धि ! यो - जो !
न: - हमारी ! प्रचोदयात् - प्रेरित करे !

सभी को जोड़ने पर अर्थ है –
प्राणस्वरूप, दु:ख नाशक, सुख स्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देव स्वरूप परमात्मा को हम अपनी अन्तरात्मा में धारण करें।
ईश्वर हमारी बुद्धि को सही रास्ता दिखलाये ।
यह मन्त्र सुख-समृद्धि-सम्पन्नता और बुद्धि
एवं सफलता प्रदान करने वाला है !
इस मन्त्र का पाठ आँखें बन्द करके मन ही मन करना चाहिए
या उच्चारण इतने धीमे स्वर में होना चाहिए कि अपनी आवाज़ केवल अपने कानों को ही स्पष्ट सुनाई दे !