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भगवान् श्रीकृष्ण के बाल-

यह कहानी मेरे पिताजी डॉक्टर चन्द्रप्रकाश मित्तल ने सत्तर के दशक में कभी सुनाई थी!

आज़ादी से पहले के भारत में हिन्दू-मुसलमान काफी हिल-मिल कर रहते थे ! उन दिनों मुशायरों में हिन्दू-मुसलमान दोनों कौमों के शायर साथ-साथ शामिल होते थे !
उन दिनों एक ख़ास तरीके से भी मुशायरा होता था ! मुशायरे की अध्यक्षता करने वाला शख्स अक्सर एक मिसरा (LINE) दे देता था ! उसमे आगे या पीछे एक लाइन जोड़कर शेर सुनाने को कहा जाता था ! जिसका शेर सबसे उम्दा होता था, वही मुशायरे का हीरो बन जाता था!

एक बार संयोग से मुशायरे की सदारत (अध्यक्षता) का जिम्मा एक ऐसे व्यक्ति को दे दिया गया - जो हिन्दुओं से बहुत चिढ़ता था ! वह हर पल हिन्दुओं को नीचा दिखाने की फिराक में रहता था ! सदारत का मौक़ा क्या मिला, उसने एक मिसरा उछाल दिया -

वो काफ़िर हैं - जो हामी नहीं इस्लाम के !
मुशायरे में मौजूद सभी शायर और श्रोता स्तब्ध रह गए ! हिन्दू शायरों का मिज़ाज़ गरमाने लगा !
मुसलमान शायर अपने सदर (अध्यक्ष) को कोसने लगे !
उन दिनों मुशायरे हिन्दू-मुस्लिम एकता के प्रतीक होते थे ! जब कि मुशायरे के सदर ने आपस में वैमनस्य पैदा करने की नींव खोद दी थी !
ऐसे में जब हर तरफ सन्नाटा छाया हुआ था, एकाएक उस जमाने के क्रांतिकारी वीर और मशहूर शायर राम प्रसाद बिस्मिल अपने स्थान से उठे और स्टेज पर आकर बुलन्द आवाज़ में बोले -

'लाम' से गेसू मेरे घनश्याम के !
वो काफ़िर हैं, जो हामी नहीं इस लाम के !

मतलब समझिये ‘लाम’ ل उर्दू का एक अक्षर है ! जिसकी शेप भगवान् कृष्ण के बालों की लटों जैसी है !

सदर साहब ने तो शेर के लिए पंक्ति कही थी - वो काफ़िर हैं, जो हामी नहीं इसलाम के !
जबकि बिस्मिल साहब का कहना था - 'लाम' ل से गेसू(बाल) मेरे घनश्याम के ! अर्थात मेरे भगवान् श्रीकृष्ण के बाल 'लाम' ل जैसे हैं ! वो काफ़िर हैं, जो हामी नहीं इस लाम ل के ! अर्थात जो इन खूबसूरत बालों के कायल नहीं हैं यानी जो भगवान् श्रीकृष्ण के भक्त नहीं हैं - वो काफ़िर (मूर्ख, अज्ञानी और दुष्ट) हैं !

अचानक एक पल के सन्नाटे के बाद तालियों की गड़गड़ाहट और 'वाह-वाह' की आवाज़ों से सारा वातावरण गूँज उठा ! सबसे ज्यादा जोर से तालियाँ वे मुसलमान बजा रहे थे, जो अपने सदर द्वारा दिए गए मिसरे से सख्त नाखुश थे !
उन सदर साहब को तुरन्त सदारत से हटा दिया गया !
बाकी मुशायरे के लिए दूसरा सदर चुना गया और फिर हँसी-खुशी के माहौल में मुशायरा सम्पन्न हुआ !