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सबसे बड़ा मन्त्र ॐ

हिन्दू धर्म में हर देवी-देवता के इतने मन्त्र हैं कि सामान्य मनुष्य के लिए उन्हें याद रखना तो असम्भव है ही, उनका सही-सही शुद्ध उच्चारण भी बहुत ही कठिन है ! पर एक सहज-सरल मन्त्र है ॐ ! जिसका उच्चारण पढ़े-लिखे ज्ञानी विद्वान् तथा अनपढ़ नादान सभी लोग सही-सही और शुद्ध कर सकते हैं !

बहुत से मन्त्रों, आरतियों तथा धार्मिक प्रसंगों में कहीं न कहीं ॐ का उच्चारण अवश्य मिलता है ! ॐ का उच्चारण अ उ और म का संयुक्त रूप से उच्चारण है !
सहज रूप में इसे ‘ओम’ कहकर उच्चारित किया जाता है ! ॐ (ओम अथवा अ उ म ) के उच्चारण से होने वाले लाभों को बहुत से विद्वान वैज्ञानिकों ने भी स्वीकार किया है !
यह एक ऐसा सर्वमान्य मन्त्र है, जिसका उच्चारण आप किसी भी अवस्था में कभी भी कर सकते हैं !

प्रातः उठते ही, नहाने से पहले, नहाते हुए या नहाने के बाद कभी भी आप ॐ का उच्चारण कर सकते हैं !
अकेले अथवा पार्क में बहुत से लोगों के साथ योगा करते हुए भी आप ॐ का उच्चारण कर सकते हैं ! इसके कभी भी, कहीं भी उच्चारण से कोई हानि नहीं है ! यह एक ऐसा मन्त्र है, जिसका मन ही मन धीमे स्वर में उच्चारण भी जरूरी नहीं ! बहुत से लोग खाना खाकर डकार लेते हुए भी ॐ का उच्चारण करते हैं !

ॐ का उच्चारण करने से शरीर में मौजूद कई मृत कोशिकाएँ पुनः जीवित होती है ! जो लोग बचपन से ही व्यायाम के साथ-साथ ॐ का नियमित रूप से प्रतिदिन उच्चारण करते हैं, उनमे किसी भी रोग से लड़ने की शक्ति बड़ी प्रबल होती है ! उनके फेफड़े मजबूत होते हैं और ह्रदय रोग की सम्भावना 'न' के बराबर होती है !

ॐ (ओम) का उच्चारण करते समय "ओ" पर विशेष जोर देना चाहिए और बोलते हुए "ओ" को लम्बा खींचने के बाद "ओम" का उच्चारण पूर्ण होना चाहिए ! ॐ (ओम) का निरन्तर जाप करने से मनुष्य में साहस बुद्धि और सामयिक सूझ-बूझ की कमी नहीं रहती !
ॐ (ओम) एक ऐसा मन्त्र है, जिसका जाप हर मनुष्य को प्रतिदिन करना चाहिए !