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जन्माष्टमी - पूजन विधि

पूजन विधि जन्माष्टमी के पूजन के लिए भगवान् कृष्ण के भक्त बहुत दिन पहले से अपनी तैयारियां शुरू कर देते हैं ! महाराष्ट्र में दही-हाँडी का उत्सव बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है ! मुम्बई में बहुत से फ़िल्मी कलाकार भी दही-हाँडी उत्सव में शामिल होते रहते हैं ! धार्मिक विद्वानों तथा पंडितों के अनुसार जन्माष्टमी पूजन की अनेक विधियां बताई जा सकती हैं. किन्तु हम आपको पूजा की सरल एवं उत्तम विधि बता रहे हैं !

सबसे पहले हम यह बता दें कि हिन्दू हमेशा से अच्छी बातें ग्रहण करते आये हैं ! यदि किसी अन्य धर्म अथवा सम्प्रदाय में कोई अच्छी बात दिखी तो हिन्दू उसे स्वीकार करने अथवा अपनाने में कभी नहीं हिचकते, जबकि कई सम्प्रदाय ऐसे हैं, जो अपने समाज की कुरीतियों के विरुद्ध आवाज़ उठाने से भी डरते हैं !

यही कारण हैं - आज भी किसी भी देवी-देवता की पूजा में श्रद्धा और भक्ति को ही सर्वोपरि माना जाता है !

आज से हज़ार वर्ष पहले जो पूजा सोने और चांदी की मूर्तियों को स्थापित करके की जाती थीं, आज मिट्टी की मूर्तियों में भी उतनी ही फलदायक है ! भगवान् कृष्ण की पूजा के लिए भाद्रपद मास की कृष्णजन्माष्टमी को व्रत करना चाहिए, लेकिन गर्भवती महिलाओं, खून की कमी से पीड़ित अथवा गम्भीर बीमार लोग व्रत न करें ! मन में श्रद्धा व भक्ति रखिये ! प्रभु सबका कल्याण करते हैं !

अपने सामर्थ्य के अनुसार अपने घर में श्रीकृष्ण भगवान और उनके संगी-साथियों (गोपिका, यशोदा, नंद, बलराम, देवकी, वसुदेव, गायों, कालिया, यमुना नदी, गोपगण और गोपपुत्रों आदि) की मूर्तियां लगाकर अपने पूजाघर को सजाइये !

कोई अन्य मूर्ति ना भी हो तो भी भगवान श्रीकृष्ण की पूजा के लिए उनकी मूर्ति अथवा चित्र ही काफी है ! भक्तजन जन्माष्टमी पूजन के लिए हफ्ता पहले से ही भाँति-भाँति के पकवान और मिठाइयाँ बनाना शुरू कर देते हैं ! किन्तु आप बहुत सारे पकवान बनाने की स्थिति में ना हों तो भी पूजा का सम्पूर्ण फल प्राप्त कर सकते हैं !

पूजा के लिए सबसे जरूरी है - चरणामृत, यह पाँच चीजों ( दूध, दही, चीनी, शहद, तुलसी के पत्ते ) को मिलाकर बनाया जाता है, इसलिए इसे पंचामृत भी कहते है ! धनिये की पंजीरी अथवा बर्फी भी भगवान को भोग लगाए जाने वाले पकवानों में प्रमुख हैं !

भगवान श्री कृष्ण के जन्म के बाद ( यानी रात के बारह बज चुकने के बाद ) पूजा-अर्चना करके भगवान को भोग लगाने के बाद सबको चरणामृत का प्रसाद तथा भगवान के भोग के लिए रखे फल और मिष्ठान में से थोड़ा देकर मुंह झूठा करने के बाद भोजन करना चाहिए !