भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को हरतालिका तीज का त्यौहार मनाया जाता है ! लिंग पुराण की एक कथा है ! कहा जाता है कि मां पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए 107 जन्म लिए थे !
अपने एक जन्म में भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए हिमालय पर गंगा के तट पर अन्न का त्याग कर घोर तपस्या की ! बहुत वर्षों तक पेड़ों के पत्ते चबा कर वह शिवजी की आराधना करती रहीं ! फिर वर्षों तक वह केवल हवा का सेवन कर तपस्या में लीन रहीं ! पार्वती जी के पिता पुत्री की दशा देख अत्यन्त दुखी रहते थे ! एक दिन देवर्षि नारद पार्वती जी के पिता से मिले और पार्वती जी का विवाह विष्णु जी से करने का प्रस्ताव रखा ! पार्वती जी के पिता ने यह प्रस्ताव स्वीकार कर लिया !
किन्तु पिता ने जब पुत्री को अपना विचार बताया तो पार्वती जी दुखी होकर विलाप करने लगीं ! जब पार्वती जी की एक सखी ने उनके दुःख का कारण पूछा तो पार्वती जी ने बताया कि वह तो भगवान शिव को अपना पति मान चुकीं हैं !
तब पार्वती जी की एक सखी उन्हें जंगल में ले गयी और उसी के समझाने पर, भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को, पार्वती जी एक गुफा में रेत का शिवलिंग बना कर, घोर तपस्या में लीन हो गयीं !
आखिरकार भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिये और उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार किया !
कहा जाता है कि हरतालिका तीज का व्रत रखने वाली कन्याओं को मनचाहा पति मिलता है और विवाहित स्त्रियों का दाम्पत्य जीवन बहुत सुखी रहता है !
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