पागल जग का माली- वो पागल है-भगवान !
दिये फूल में काँटें और सेवा में बलिदान !!
एक बार नामदेव जी अपनी कुटिया के बाहर सोये हुए थे, तभी अचानक उनकी कुटिया में आग लग गयी ।
नामदेव जी ने सोचा - आज तो ठाकुर जी अग्नि के रूप में आये है तो उन्होंने जो भी सामान बाहर रखा हुआ था, वो भी आग में डाल दिया ।
तब लोगों ने देखा और जैसे तैसे आग बुझा दी और चले गये।
ठाकुर जी ने सोचा – इस भक्त ने तो मुझे सब कुछ अर्पण कर दिया है ! अब यह कहाँ रहेगा ?
ठाकुर जी ने नामदेव जी के लिए बहुत ही सुन्दर कुटिया बना दी ।
सुबह लोगो ने देखा वहाँ तो बहुत सुन्दर कुटिया बनी हुई है ! उन्होंने नामदेव जी से पूछा – “रात को तो आपकी कुटिया में आग लग गयी थी, फिर ये इतनी सुंदर कुटिया कैसे बन गयी? हमे भी इसका तरीका बता दीजिए ।“
नामदेव जी ने कहा – “सबसे पहले तो अपनी कुटिया में आग लगाओ ! फिर जो भी सामान बचा हो, वो भी उसमें डाल दो ।“
लोगों ने उन्हें ऊपर से नीचे तक देखा और कहा – “अजीब पागल है ।“
नामदेव जी ने कहा - वो पागलों के ही घर बनाता है ।
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