मैं ढूंढता तुझे था, जब कुञ्ज और वन में ! तू खोजता मुझे था, तब दीन के वचन में !! तू आह बन किसी की, मुझको पुकारता था ! मैं था तुझे बुलाता संगीत में भजन में !! मैं ढूंढता तुझे था, जब कुञ्ज और वन में ! तू खोजता मुझे था, तब दीन के वचन में !! मेरे लिए खड़ा था, दुखियों के द्वार पर तू ! मैं बाट जोहता था, तेरी किसी चमन में !! मैं ढूंढता तुझे था, जब कुञ्ज और वन में ! तू खोजता मुझे था, तब दीन के वचन में !! तू बीच में खड़ा था, बेबस गिरे हुओं के ! मैं स्वर्ग देखता था, झुकता कहाँ चरण में !! मैं ढूंढता तुझे था, जब कुञ्ज और वन में ! तू खोजता मुझे था, तब दीन के वचन में !! तूने दिए अनेकों अवसर, पर ना मिल सका मैं ! तू कर्म में मगन था, मैं व्यस्त था कथन में !! मैं ढूंढता तुझे था, जब कुञ्ज और वन में ! तू खोजता मुझे था, तब दीन के वचन में !!