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कन्हईया ने दिया चित्रा को वचन


एक बार कन्हईया को जिद्द चढ़ गई कि मै अपना चित्र बनवाऊँगा !
तो कान्हा ने मईया से कहा - मईया मै अपना चित्र बनवाऊँगो !
मईया बोली - चित्र बनवाई के क्या करेगो ?
कन्हईया बोले - मोको कछू ना पतो, मै तो बनवाऊँगो !
मईया कन्हईया को एक औरत के पास ले गई, जिसका नाम था चित्रा ! वो ऐसा चित्र बनाती थी कि कोई पहचान भी ना पावे था कि असली कौन है...!
मईया कान्हा को चित्रा के पास लेकर गई और कहा कि कान्हा का चित्र बना दो,
चित्रा ने कान्हा को कभी देखा नही था ! कान्हा मुँह घुमाये उलटे खड़े थे !
चित्रा ने कान्हा को सीधा मुँह कर अपनी तरफ देखने को कहा !
लेकिन कान्हा ने उसकी तरफ मुँह ना घुमाया !
कान्हा एक टाँग सीधी और एक टाँग घुटनों से मोड़कर टेढ़ी किये खड़े थे !
चित्रा ने कान्हा से कहा - लाला जरा मुँह मेरी तरफ घुमाकर सीधे होकर खड़े हो जाओ !
कन्हईया बोले - ना, मैं तो ऐसे ही खड़ा रहूँगौ! ऐसे ही मेरा चित्र बनाओ!

चित्रा ने कई बार कान्हा से निवेदन किया, पर कान्हा ने उसकी एक न सूनी !
माता यशोदा ने भी कान्हा को घुमा कर सीधा करना चाहा, पर मईया की भी एक न चली !
कान्हा टेढ़े के टेढ़े ही रहे !
आखिर चित्रा घूम कर कान्हा के सामने आई और कान्हा की सांवली-सलोनी छवि देखी तो देखती रह गयी ! मंद-मंद मुस्कुराते कान्हा की छवि उसकी आँखों से दिल में उतर गयी ! चित्रा का चित्त कान्हा में ही कहीं खो गया !
मईया कान्हा को लेकर चली गई और चित्रा से बोली- चित्र बनाकर कल हमारे घर दे जाना !
लेकिन चित्रा जब भी कान्हा का चित्र बनाती तो रोने लग जाती और सारा चित्र खराब हो जाता... !
किसी तरह खुद पर काबू रख उसने चित्र बनाया और मईया के घर गई !
जब मईया ने चित्र देखा तो खुशी के मारे झूम उठी और चित्रा को वचन दिया कि इस चित्र के बदले तू जो माँगेगी, मै दूँगी...!
चित्रा बोली - सच मईया....
मईया बोली -हाँ जो माँगेगी, मै दूँगी...!
चित्रा बोली - तो जिसका चित्र बनाया है उसे ही दे देयो..!
मईया ये बात सुन रोने लगी और बोली - तू चाहे मेरे प्राण माँग ले पर कान्हा को नही....!
चित्रा बोली - मईया तू अपना वचन तोड़ रही है... !
मईया रोते हुए बोली -तू कान्हा के समान कुछ भी माँग ले, मै दूँगी...!
चित्रा बोली- तो कान्हा के समान जो भी वस्तु हो तुम मुझे दे दो.... !
मईया ने घर और बाहर बहुत देखा पर कान्हा के समान कुछ ना मिला....
इतने मे कान्हा चित्रा को एक तरफ ले जाकर बोले - तू मुझे ले जायेगी तो मेरी माँ मर जायेगी.... !
चित्रा बोली - अगर आप मुझे ना मिले तो मै मर जाऊँगी !
कान्हा ने चित्रा को वचन दिया कि जब भी तू मुझे याद करेगी मै तेरे सामने आ जाऊँगा.... !

तब चित्रा खुश होकर मईया से बोली - मईया मै तो मजाक कर रही थी; मुझे तेरा लाला नही चाहिये.... !
ये सुनकर मईया की जान मे जान आई ! वह चित्रा से लिपट कर बोलीं - तूने मेरा मान रखा, अब मेरे दिए का भी मान रखना ! मना मत करना !
कन्हईया ने चित्रा की ओर देख मुस्कुराते हुए, हाँ करने का संकेत किया ! चित्रा कान्हा की मुस्कान पर मर मिटी ! मईया यशोदा ने चित्रा को ढेर सारे उपहार देकर विदा किया !

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