एक बार की बात है -किसी राज्य में एक राजा था !जिसकी केवल एक टाँग और एक आँख थी। उस राज्य में सभी लोग खुशहाल थे !
क्योंकि राजा बहुत बुद्धिमान और प्रतापी था।एक बार राजा के विचार आया कि क्यों न खुद की एक तस्वीर बनवायी जाये।
फिर क्या था, देश विदेशों से चित्रकारों को बुलवाया गया और एक से एक बड़े चित्रकार राजा के दरबार में आये।
राजा ने उन सभी से हाथ जोड़कर आग्रह किया कि वो उसकी एक बहुत सुन्दर तस्वीर बनायें; जो राजमहल में लगायी जाएगी।
सारे चित्रकार सोचने लगे कि राजा तो पहले से ही विकलांग है, फिर उसकी तस्वीर को बहुत सुन्दर कैसे बनाया जा सकता है !
ये तो संभव ही नहीं है और अगर तस्वीर सुन्दर नहीं बनी तो राजा गुस्सा होकर दंड देगा। यही सोचकर सारे चित्रकारों ने राजा की तस्वीर बनाने से मना कर दिया।
तभी सबसे पीछे से एक चित्रकार ने अपना हाथ खड़ा किया और बोला कि मैं आपकी बहुत सुन्दर तस्वीर बनाऊँगा, जो आपको जरूर पसंद आएगी।
फिर चित्रकार जल्दी से राजा की आज्ञा लेकर तस्वीर बनाने में जुट गया।
काफी देर बाद उसने एक तस्वीर तैयार की; जिसे देखकर राजा बहुत प्रसन्न हुआ और सारे चित्रकारों ने अपने दाँतों तले उंगली दबा ली।
उस चित्रकार ने एक ऐसी तस्वीर बनायी; जिसमें राजा एक टाँग को मोड़कर जमीन पे बैठा है और एक आँख बंद करके अपने शिकार पे निशाना लगा रहा है।
राजा ये देखकर बहुत प्रसन्न हुआ कि उस चित्रकार ने राजा की कमजोरियों को छिपा कर कितनी चतुराई
से एक सुन्दर तस्वीर बनाई है।
राजा ने उसे खूब इनाम दिया।
तो , क्यों ना हम भी दूसरों की कमियों को छुपाएँ, उन्हें नजरअंदाज करें और उनकी अच्छाइयों पर ध्यान दें।
आजकल देखा जाता है कि लोग एक दूसरे की कमियाँ बहुत जल्दी ढूँढ लेते हैं, चाहें खुद में कितनी भी
बुराइयाँ हों; लेकिन हम हमेशा दूसरों की बुराइयों पर ही ध्यान देते हैं कि अमुक आदमी ऐसा है, वो वैसा है।
इस कहानी से ये शिक्षा भी मिलती है कि हमें नकारात्मक परिस्थितियों में भी सकारात्मक सोचना चाहिए और किस तरह हमारी सकारात्मक सोच हमारी समस्याओं को हल करती है।
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